https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Vastu Astro / Astrologer Pandarama: 11/24/24

रविवार, 24 नवंबर 2024

|| शंख और उसकी शक्ति , अपने पूर्वजों के चित्र यहां न लगाएं , सूर्य और वास्तु , सुखी जीवन ओर वास्तु शास्त्र , चिमनी को सही दिशा में लगा ||

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........

जय द्वारकाधीश

 || शंख और उसकी शक्ति , अपने पूर्वजों के चित्र यहां न लगाएं , सूर्य और वास्तु , सुखी जीवन ओर वास्तु शास्त्र ||

        

        शंख ध्वनि से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। 

        मानसिक तनाव, ब्लडप्रेशर, मधुमेह, नाक, कान और पाचन से संबंधित रोगों में रक्षा होती है। 

        पूजा - पाठ के बाद शंख में भरा जल श्रद्धालुओं पर छिड़का जाता है और उसे हम पीते भी हैं। 

        इसमें कीटाणुनाशक शक्ति होती ही है, साथ ही इसमें गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम के तत्व भी होते हैं।


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        क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? 

        भूत - प्रेत और राक्षस भगा सकता है? 

        क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? 

        क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? 

        पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। 

        शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।


        शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। 

        शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है।



शंख से वास्तु दोष का निदान :-

       शंख से वास्तु दोष भी मिटाया जा सकता है। 

        शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप - दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। 

        शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।



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उद्धरिण्या जलं ग्राह्यं जले शखं न मज्जयेत्।

      शंखस्य पृष्ठसंलग्नं जलं पापकरं ध्रुवम्।।       

मंदिरों में आरती पूर्ण होते ही, आरती में उपस्थित  भक्तों को शंख जल से अभिसिंचित किया जाता है, पुजारी को चाहिए कि वह शंख को पानी के पात्र में न डुबोकर ,पात्र से शंख में जल डालकर छिड़काव करें। 

        क्योंकि शंख का पृष्ठभाग अशुद्ध माना जाता है! शंख जल के स्पर्श से ही अमंगलों का नाश और मंगल की प्राप्ति होती है।

  || विष्णु भगवान की जय हो ||


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अपने पूर्वजों के चित्र यहां न लगाएं

वरना होगा बुरा, जानिए 5 बातें

घर में अपने मृतकों के चित्र कहां लगाएं और कहां नहीं लगाएं इस संबंध में वास्तु शास्त्र में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। 

गलत स्थान पर चित्र लगाने का बुरा असर होता है। 

अत: अपने मृतकों या पूर्वजों के चित्र आप उचित‍ स्थान पर ही लगाएं। 

आओ जानते हैं कुछ खास 5 बातें।
 

यहां कभी ना लगाएं:-


1 - कभी भी परिवार के मृत व्यक्तियों का चित्र देवी और देवताओं के साथ न लगाएं या रखें, क्योंकि देवी या देवता पितरों से बढ़कर होते हैं। 

ऐसा करने से देवदोष होता है।
 
2 - पूर्वजों के चित्र ब्रह्म अर्थात मध्य स्थान में कभी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे मान-सम्मान की हानि होती है। 

पश्चिम या दक्षिण में लगाने से संपत्ति की हानि होती है। 

उत्तर, ईशान और पूर्व दिशा में किस स्थिति में लगाना चाहिए यह नीचे देखें।
 
3 - पितरों की तस्वीर घर में सभी जगह नहीं लगाना चाहिए। 

इसे शुभ नहीं माना  जाता है। 

इससे तनाव बना रहता है।

4 - यह भी कहा जाता है कि कभी भी मृत लोगों की तस्वीर जीवित लोगों के साथ ना लगाएं इससे नकारात्मकता फैलती है।
 
5 - पूर्वजों की तस्वीर को बैठक, शयनकक्ष और रसोई घर में भी नहीं लगाना जाहिए। 

इससे पूर्वजों का अपमान होता है और घर में तनाव का माहौल बना रहता है।
 
6 - पितरों की तस्वीर को कभी भी लटकते हुए या झुलते हुए नहीं लगाना चाहिए। 

मान्यता है कि इससे व्यक्ति का जीवन भी लटकता और झुलता रहता है।

यहां लगाएं तस्वीर:-

1 - कुछ वास्तु शास्त्रीयो के अनुसार यदि घर में पूजा - पाठ का स्थान ईशान कोण ( उत्तर - पूर्व ) में है तो पितरों की तस्वीर को पूर्व में लगा सकते हैं। 

वहीं, यदि पूजा स्थल पूर्व दिशा में हो तो तस्वीर ईशान में लगा सकते हैं। 

यदि पूजा घर से भिन्न किसी कमरे में पूर्वर्जों की तस्वीर लगा रहे हैं तो उत्तर दिशा की दिवार पर लगा सकते हैं जिससे की पूर्वर्जों का चेहरा दक्षिण की ओर रहेगा।
 
2 - हालांकि हम आपको यहां सलाह देना चाहेंगे कि आप अपने पूर्वर्जों की तस्वीर घर की दक्षिण दीवार पर लगाएं। आप इसे घर का दक्षिण पश्‍चिम का कोना मान लीजिए। 

अगर दक्षिण नहीं मिल पा रहा है तो आप पश्‍चिम के कोने में लगा सकते हैं। 

मतलब यह कि उनका मुख पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।
 
3 -  घर के किसी एक ही स्थान पर ही पूर्वजों की तस्वीर लगाएं। 

वह स्थान ऐसा होना चाहिए तो कि दिशादोष से मुक्त हो।
 
4 - जब भी तस्वीर लगाएं तो तस्वीर के नीचे किसी लकड़ी के गत्ते का सपोट लगाना चाहिए जिससे तस्वीर लटकी या झुलती हुई नजर नहीं आती है।
 
5 - घर के पूर्वजों का चित्र सिर्फ आपके देखने के लिए है किसी दूसरे के लिए नहीं। 

अत: उसे उस स्थान पर ही लगाएं जहां पर किसी अतिथि की नजर ना पड़े। 

आप भी उन्हें प्रतिदिन न देखें तो ही अच्छा है। 

यह सही है कि आपकी भावनाएं उनसे जुड़ी है लेकिन उन्हें प्रतिदिन याद करने से आपके भविष्य पर इसका बुरा असर होगा। 

मान्यता है कि हर वक्त पूर्वजों को याद करते रहने से मन में उदासी और निराशा की भावना का विकास होता है।

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सूर्य और वास्तु 


कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ?

सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।

1 सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। 

इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। 

यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।

2  सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसी लिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रौशनी घर में आ सके।

3  प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण - पूर्व में होता है। 

यह समय  भोजन पकाने के लिए उत्तम है। 

रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। 

ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सुखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।

4  दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल ( आराम का समय ) होता है। 

सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।

5  दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण - पश्चिम भाग में होता है।

अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।

6 सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इस लिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।

7  सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर - पश्चिम में होता है। 

यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।

8  मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। 

यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।

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सुखी जीवन ओर वास्तु शास्त्र

# जीवन मे अच्छी संतान आप चाहते हैं तो  वास्तु शास्त्र के अनुसारभगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल की फोटो अपने  पूजा स्थल में में लगाएं!

# ईशान कोण में पूजा स्थल में भगवान श्री कृष्ण की फोटो  विधिवत  लगाकर  सश्रद्ध पूजा करें! 

#   उत्तमसंतान की प्राप्ति हेतुद्वादश अक्षर मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का आस्था श्रद्धा और समर्पण से जाप करें!

# कोई कारण से संतान नहीं हो पा रही हो तो भगवान श्री कृष्ण को याद करते हुए अत्यंत श्रद्धा के साथ संतान गोपाल मंत्र का जाप करें ! 

# अगर आपके परिवार में नये मेहमान का आगमन होने वाला है तो भगवान श्री कृष्ण की फोटो शयन कक्ष में जरुर लगायें ! 

# जीवन में भी अच्छे मित्र बनाने तो आपको कृष्ण और सुदामा की फोटो अपने  ड्राइंग रूम में लगाएं!

# अगर आपके बच्चों के साथ आपसी सम्बन्धों में कोई समस्या है तो  मां यशोदा और भगवान श्री कृष्ण की फोटो शयन कक्ष में जरुर लगायें !

#  भगवान श्री कृष्ण आजीवन   श्री गायत्री मंत्र के  उपासक  रहे! 

पूर्व  दिशा की की दीवारों पर शुभ गायत्री मंत्र को  लिखवाए योगकारक होगा!

# वास्तु संबंधित बहुत  दोष हो तो  तो गौ माता की नियमित आस्था पूर्वक सेवा करें! 

श्री कृष्ण जी को गाय गायों से विशेष लगाव रहा!  

बाल्यावस्था से श्री कृष्ण गोपा लो  और गायों  के ही बीच रहे!

# स्वयं के सत्कर्म परमार्थ महान पुरुषार्थ  बड़ों का आशीष   प्रबल भाग्य  नियामक होते हैं!

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चिमनी को सही दिशा में लगाकर ज्यादा लाभ अर्जित करें


" चिमनी को सही दिशा में लगाकर ज्यादा लाभ अर्जित करें "

& क्या आपका *व्यापार* ठीक नही चल रहा है ???

क्या आय से अधिक व्यय होता है ???

क्या बैंकों का *कर्ज* बड़ते चला जा रहा है  ???

& अगर आप उपरोक्त परेशानियों से जूझ रहे हैं तो अपने निर्माण कार्य का *वास्तु निराकरण* कराईये !!

& फेक्टरी के अंदर अगर *वास्तुशास्त्र* के विपरीत निर्माण किया जाता है तो उसके दुष्परिनाम भी भोगने होते हैं !!

& वास्तुशास्त्र में हर वस्तु का अपना गुण ,धर्म और तत्व होता है !!

& वास्तुशास्त्र में हमेशा नेऋत्य कोण [दक्षिण-पश्चिम] कोण को सबसे ऊँचा और भारी करने का विधान है  !!

& वास्तुशास्त्र के अनुसार *समृद्धि* इशान कोण [ उत्तर - पूर्व ] से आती है और नेऋत्य कोण [ दक्षिण - पश्चिम ] से बाहर निकलती है !!

& इस लिए *समृद्धि* के आने के मार्ग को हमेशा खुला रखना चाहिए और जाने के मार्ग को ऊँचा ,भारी और तरह तरह के अवरोध लगाना चाहिए 

& फेक्टरी में लगने वाली चिमनी सबसे ऊँचा होने के साथ ही साथ भारी भी होता है !!

& इस लिए चिमनी को हमेशा नेऋत्य कोण [ दक्षिण - पश्चिम ]  दक्षिण या आग्नेय कोण में लगाना चाहिए !!

& अगर चिमनी या ट्रांसफार्मर इशान कोण में लग जाती है तो मालिक के उपर कर्जे बड़ते चले जाते हैं ,फेक्टरी में नुकसान बना रहता है ,अंत में मालिक को दिवालिया होना पड़ता है !!

& अगर आप नया निर्माण करने जा रहे हैं तो मशीनों को इस तरह लगायें जिससे वास्तु के नियमों का पूरी तरह से पालन हो !!


!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!

जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 

-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-

(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 

" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,

" Shri Aalbai Niwas "

Shri Maha Prabhuji bethak Road,

JAM KHAMBHALIYA - 361305

(GUJRAT )

सेल नंबर: . + 91- 9427236337 / + 91- 9426633096  ( GUJARAT )

Skype : astrologer85 WeB:https://sarswatijyotish.com/

Email: prabhurajyguru@gmail.com

Email: astrologer.voriya@gmail.com

आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 

नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....

जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏


ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई :

ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई  ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई  अगर आप ऐसे सोते हैं तो होंगे भाग्यशाली-----क ्यों है द...