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बुधवार, 21 मई 2025

ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई :

ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई 


ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई 


अगर आप ऐसे सोते हैं तो होंगे भाग्यशाली-----क्यों है दरवाजे की ओर पैर करके सोना अपशकुन-
=

जिस तरह हर व्यक्ति का चेहरा, आंख, नाक एक दूसरे से अलग होता है उसी प्रकार सोने
का तरीका भी अलग होता है। 

कोई व्यक्ति पैर पर पैर चढ़ाकर सोता है तो कोई पेट के बल लेटकर सोता है। 

कुछ लोगों की आंखें सोते समय अधखुली रहती है इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वह सोने का बहाना करके लेटा है।

मनुष्य का लगभग आधा जीवन सोने में व्यतीत होता है। 

हर मनुष्य का सोने का तरीका एक - दूसरे से भिन्न होता है। 

आपके सोने का तरीका आपके क्रियाकलापों, मन की बातों, आदतों एवं आपके विषय में बहुत कुछ
सच - सच बता सकता है। 

सामुद्रिक शास्त्र या शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत इस संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है। 

इस संबंध में विस्तृत रूप से जानने के लिए पढ़िए - समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि सोने के इन
तरीकों से व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व के गुणों को भी जाना जा सकता है। 




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यहां तक की सोने के तरीके से यह भी जान सकते हैं कि आप कितने भाग्यशाली हैं।

माना जाता है कि जिनकी आंखें सोते समय अधखुली होती है वह बड़े ही भाग्यशाली होते हैं इन्हें कम
परिश्रम में ही जीवन का हर सुख प्राप्त हो जाता है। 

इसका कारण यह भी है कि जिनकी आंखें सोते समय अधखुली होती है वह अपने मतलब
की बातों पर पैनी नज़र रखते हैं। 

और मौके का लाभ उठाने के लिए तत्पर रहते हैं।

क्यों है दरवाजे की ओर पैर करके सोना अपशकुन---

कौन किस तरह सोता है देखिए और जानिए उसका स्वभाब
== 


वास्तु विज्ञान में हर क्रिया के लिए अलग - अलग दिशा और
स्थान का वर्णन किया गया है। 

इन्हीं नियमों में एक है कि व्यक्ति को कभी मुख्य दरवाजे
की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए।

इस तरह से सोना अपशकुन भी माना जाता है।

इसलिए अगर आप घर के मुख्य दरवाजे की ओर पैर रखकर सोते हैं तो अपने सोने के तरीके को बदलिए।




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वास्तु विज्ञान के अनुसार मुख्य दरवाजे की ओर पैर का होना घर से बाहर निकलने का संकेत होता है। 

इस प्रकार से बाहर की ओर पांव करके मृत्यु के बाद ही व्यक्ति को लिटाया जाता है। 

इस दिशा में सोने से आयु कम होती है और व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। 

सोने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व और उत्तर को माना गया है।

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर उर्जावान और स्वस्थ्य रहता है। 

वास्तु विज्ञान में पूर्व और उत्तर पूर्व दिशा को उर्जा का केन्द्र माना गया है। 





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इसे स्वर्ग की दिशा भी कहते हैं। 

इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव में कमी आती है। 

लेकिन सूर्योदय की दिशा होने के कारण इस दिशा में मुंह करके सोने
वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। 

अन्यथा सूर्योदय के समय आपका पांव सूर्य की ओर होगा। 

जिससे सूर्य देवता का अपमान होगा।




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शास्त्रों का मत है कि उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है।

इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से उठते समय मुंह उत्तर की ओर होगा जिससे कुबेर
की कृपा प्राप्त होगी।

वहीं विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के दोनों सिरों उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच चुम्बकीय प्रवाह होता है।

उत्तरी ध्रुव चुम्बक के पोजिटिव और दक्षिणी ध्रुव निगेटिव पोल की तरह काम करते हैं। 

हमारा सिर पोजेटिव और पैर निगेटिव एनर्जी प्रवाहित करता हैं।




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सोते समय उत्तर की ओर मुंह करके सोने से सिरहाना दक्षिण की ओर होता है। 

इससे हमारा सिर वातावरण की निगेटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और पैर पॉजेटिव
एनर्जी को अपनी ओर खींचता है। 

जिससे सोते समय मन में उथल - पुथल नहीं मचती है और
अच्छी नींद आती है।

जबकि इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर दिशा करके सोने से मन में हलचल
मची रहती है और अच्छी नींद नहीं आती है। 

सुबह उठने पर सिर भारी लगता है। 

जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।


कौन किस तरह सोता है देखिए और जानिए उसका स्वभाब !




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पांवों को कसकर सोना - समुद्र शास्त्र के अनुसार जो लोग सोते समय पांवों को जकड़ लेते हैं और जिन्हें सारे शरीर को ढककर सोने की आदत है, ऐसे लोगों का जीवन निश्चित रूप से संघर्षपूर्ण रहता है।

ये परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेते हैं, यही इनकी सबसे बड़ी विशेषता होती है। 

ये बहुत ही व्यवहारकुशल होते हैं। 

ये सभी के साथ आसानी से घुलमिल जाते हैं।

शरीर सिकोड़कर सोना - ऐसे लोग डरपोक होते हैं।

इनके मन में असुरक्षा की भावना होती है। 

इन्हें एक अंजाना सा भय अनुभव होता है वे यह बात
किसी को बताते नहीं है। 

इन्हें अंजाने लोगों के साथ बात करना पसंद नहीं आता। 

ये अक्सर अकेले रहना पसंद करते हैं। 

ऐसे लोगों को नशे की लत लगने की संभावना सबसे अधिक
होती है। 




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कभी - कभी ये डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं।

चित्त सोना - अगर आपको केवल सीधे लेटकर नींद आती है तो यह शुभ लक्षण हैं। 

आप केवल आत्मविश्वासी ही नहीं आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी भी हैं। 

आप समस्याओं का समाधान तुरंत कर देते हैं। 

ऐसे लोग परिवार के मुख्य सदस्य होते हैं। 

कुछ भी बड़ा काम करने से पहले इन लोगों की राय जरुर ली जाती है। 

ये परिवार, समाज, दोस्तों व रिश्तेदारों में बहुत लोकप्रिय होते हैं।

पेट के बल सोना - समुद्र शास्त्र के अनुसार ऐसे लोगों में अंजान भय की भावना होती है। 

ये किसी भी प्रकार का खतरा उठाने के लिए तैयार नहीं होते।

अपनी गलती को अच्छी तरह जानते हैं पर बतलाते हुए डरते हैं। 

जीवन में कई बार इन्हें धोखा मिलता है इस लिए ये बहुत ही सोच - समझकर किसी से
दोस्ती करते हैं। 

पैसों के मामले में भी कई बार ये धोखे का शिकार हो जाते हैं।

पैर पर पैर रखकर सोना - अगर आप इस प्रकार सोते हैं तो आप संतुष्ट, सहनशील व तृप्त हैं। 

दूसरे प्रसन्न रहें, आप भी सुखी रहें। 

सदैव यह इच्छा आपके मन में होती है। 

ऐसे लोगों का जीवन निश्चित रूप से सुखी रहता है। 

ये व्यर्थ की बातों पर ध्यान न देकर अपने काम से काम रखना पसंद करते हैं।

करवट लेकर सोना - ऐसे लोग समझौतावादी होते हैं।

साफ - सुथरे रहना, अच्छा भोजन करना इन्हें प्रिय होता है।

खोज करना इनका प्रमुख शौक होता है। 

ये आदर्श जीवन जीना पसंद करते हैं।

सोने से पहले पैर हिलाना - कुछ लोग सोने से पहले पैर हिलाते हैं लेकिन अच्छा लक्ष्ण नहीं माना जाता। 

ऐसे लोगों को सदैव कोई न कोई चिंता सताती रहती है। 

ये स्वयं से  ज्यादा परिजनों के बारे में सोचते हैं।




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चांदी के 5 अचूक उपाय :


आइए आज हम आपको बताते हैं कि चांदी के अचूक उपाय।

1. घर मे चांदी का गिलास जरूर रखना चाहिए और इसी से पानी भी पीना चाहिए। 

चांदी के गिलास से पानी पीने से और इसे घर में रखने से राहु और केतु का प्रकोप कभी नहीं आता।

2. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में चांदी का हाथी रखने से व्यापार में काफी लाभ होता है और व्यपार कभी घाटे में नहीं जाता।





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3. चांदी की अंगूठी,चैन या चांदी का कड़ा पहनने से विवाह में हो रही विलंबता दूर हो जाती है।

4. चांदी का चौकोर टुकड़ा जेब में रखने से नौकरी में आ रही समस्या हल हो जाती है और जल्द से जल्द नौकरी मिल जाती है।

5. चांदी की ठोस गोली पर्स में रखने से भी परस्पर संबंधों में मधुरता बनी रहती है। 

यह गोली नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु 
तमिल / द्रावीण ब्राह्मण 

मंगलवार, 11 मार्च 2025

वास्तु शास्त्र अनुसार ये चीजें, सुख, धन और समृद्धि के लिए घर में रखें

वास्तु अनुसार ये चीजें,  सुख, धन और समृद्धि के लिए घर में रखें...! 

वास्तु अनुसार ये चीजें,  सुख, धन और समृद्धि के लिए घर में रखें चमक जाएगी आपकी किस्मत...!

घर में सुंदरता बढ़ाने के लिए हम कुछ शोपीस और मूर्तियां लेकर आते हैं, ताकि वह देखने में सुंदर लगे। 

लेकिन जाने - अनजाने लाई गईं ये मूर्तियां और शोपीस आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा को भी ला सकती हैं। 

वास्तु के अनुसार, अगर आप घर को सुंदर बनाने के लिए गाय, हंस, कछुआ आदि की मूर्तियां लाते हैं तो ऐसा करने से सुख - समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

तो चलिए जानते हैं कि कौन सी मूर्तियां घर में रखने से पा सकते हैं लाभ...!




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हर किसी की मंशा होती है कि उसका घर देखने में सुंदर लगे, ताकि सभी घर की तारीफ करें इस लिए हम सभी अपने घरों को सजाने संवारने के लिए कई तरह के शोपीस और मूर्तियां आदि लगाते हैं। 

जब हम मूर्तियां और शोपीस लाते हैं तो इनमें से कुछ मूर्तियां शुभ होती हैं और कुछ नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं। 

वास्तु के अनुसार, घर के निर्माण से लेकर साज सजावट का संबंध भी आपकी तरक्की, आर्थिक स्थिति और खुशहाली से होता है। 

वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसी मूर्तियों के बारे में बताया गया है, जिन्हे घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। 
इन मूर्तियों को घर में रखने से भाग्योदय होता है और तरक्की व आर्थिक उन्नति भी प्राप्त होती है। 

आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार, किन मूर्तियों को घर पर रखने से खुशहाली और समृद्धि आती है।

धन व समृद्धि के लिए घर में रखें यह मूर्ति :


वास्तु में हाथी को ऐशवर्य का प्रतीक बताया गया है। 

वहीं ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में घर में हाथी की प्रतिमा रखना शुभ माना गया है। 

आप अपने घर में हाथी की पीतल व चांदी की मूर्ति रख सकते हैं। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेडरूम में चांदी के हाथी की मूर्ति रखने से राहु से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और दांपत्य जीवन भी मजबूत होता है। 

वहीं चांदी का ठोस हाथी घर में रखने से सुख - शांति, धन और समृद्धि आती है।



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आर्थिक लाभ के लिए घर में रखें यह मूर्ति :


वास्तु के अनुसार, अगर आप गेस्ट रूम में या फिर जहां आप अपने गेस्ट को बैठाते हैं, वहां हंस के जोड़े की मूर्ति रखें। 

ऐसा करने से आपका सामाजिक दायरा बढ़ेगा और आर्थिक लाभ भी होगा। 

वहीं अगर दांपत्य जीवन में परेशानी चल रही हैं तो बेडरूम में हंस के जोड़े की मूर्ति रख सकते हैं, ऐसा करने से संबंधों में सुधार आएगा और दोनों के बीच आपसी विश्वास मजबूत होगा।


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संतान सुख के लिए घर में रखें यह मूर्ति :


हिंदू धर्म में गाय को बहुत पूजनीय माना गया है और गाय को माता का दर्जा दिया गया है।
 
वास्तु के अनुसार, घर पर पीतल की बनी हुई गाय का मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है। 

जिन दंपत्ति को संतान प्राप्ति की कामना है, उनको अपने कमरे में पीतल से बनी गाय की प्रतीमा रखनी चाहिए। 

मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति की कामना पूरी होती है। 

साथ ही जहां बच्चे पढ़ाई लिखाई करते हैं, उस कमरे में भी गाय की प्रतीमा रख सकते हैं।


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नौकरी व कारोबार में फायदा के लिए घर में रखें यह मूर्ति : 


वास्तु के अनुसार, घर पर ऊंट की मूर्ति रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

इसे घर के ड्राइंग रूम या लिविंग रूम में उत्तर - पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। 

ऐसा करने से नौकरी व कारोबार संबंधित समस्याओं का समाधान हो जाता है और करियर में भी फायदा मिलता है।

घर में पीतल का कछुआ किस दिशा में रखने से होती है धन प्राप्ति, वास्तु के इन नियमों को जानने के बाद ही घर में रखें, वरना जीवन पर पड़ने लगेगा उल्टा प्रभाव !

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पीतल का कछुआ रखना शुभ माना जाता है। 

इस से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। 

धन लाभ के नए रास्ते भी खुलते हैं। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार सुख - समृद्धि के लिए कछुआ सही दिशा में रखना जरूरी है। 

पीतल के कछुए को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, वरना इससे जीवन पर उल्टा प्रभाव पड़ने लगता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पीतल का कछुआ रखने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है। 

पीतल के कछुए को घर में रखने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और धन प्राप्ति के नए मार्ग बनते जाते हैं। 


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साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कि घर में सुख और समृद्धि का वास होता है। 

घर में पीतल का कछुआ रखते समय सही दिशा और नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। 

आइए, जानते हैं घर में पीतल का कछुआ रखने के नियम और फायदे।

पीतल के कछुए को रखने की सही दिशा :

वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा के लिए चीजों को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी है। 

घर में पीतल का कछुआ रखना बहुत शुभ माना जाता है। 

यह घर को सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करता है। 

इसे कवच की तरह माना जाता है। 

पीतल, सोना या चांदी के कछुए को हमेशा उत्तर या उत्तर - पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। 

क्रिस्टल के कछुए के लिए ईशान कोण सबसे शुभ मानी जाती है।


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पीतल के कछुए को घर में रखने के विशेष नियम :

कछुए को हमेशा पानी में रखना चाहिए, जिससे उसके पैर गीले रहें। 

पानी भी रोज बदलना जरूरी है। 

कछुए को ऐसी जगह रखें, जहां आप ज्यादा समय बिताते हैं। 

कछुए को मुख्य द्वार के पास, घर के अंदर की तरफ मुंह करके रख सकते हैं। 

अगर घर में मंदिर है, तो कछुए का मुंह मंदिर की ओर रखें। 

इससे कछुए को सही वातावरण मिलता है। 

पानी बदलने से साफ - सफाई रहती है और बीमारियों से बचाव होता है।

घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर में रखें पीतल का कछुआ :

वास्तु शास्त्र के अनुसार पीतल के कछुए को घर में रखने से शुभ फल मिलते हैं। 

यह घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। 

नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 

सौभाग्य प्राप्त होता है। 

कछुए को सही तरीके से रखना जरूरी है, तभी पूरा लाभ मिलेगा। 

कछुए को घर की उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। 

इस से घर का वातावरण सुखमय बना रहता है। 

परिवार में शांति और समृद्धि आती है।

!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
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सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
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Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

बुधवार, 29 जनवरी 2025

वास्तु शास्त्र के अनुसार आर्थिक नुकशानी :

वास्तु शास्त्र के अनुसार आर्थिक नुकशानी: 

भूलकर ना रखें ये 5 चीजें, बढ़ जाएंगे खर्च और होगा पैसों का नुकसान...!

हम आपको पर्स में रखने वाली उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण आपकी आमदनी प्रभावित हो सकती है और आपको इन चीजों को पर्स में रखने से बचना है। आइए जानते हैं।

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ऊर्जा वास्तु शास्त्र के ज्ञान का मूल स्त्राेेत है। 

वास्तु विज्ञान ऊर्जा के अनुसार ही कार्य करता है। 
वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को वस्तु विशेष के अनुसार संतुलित करते हैं और उससे जुड़े उपाय बताते हैं। 

वस्तु का संयोजन और उनका हमारे आसपास होना कई तरह की ऊर्जा पैदा करता है। 

दरअसल, हमारे आस-पास विशेष रूप से घर और ऑफिस में कई चीजें हैं, जिनसे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह लगातार होता रहता है और इनमें से कई चीजें ऐसी होती हैं जिनका अधिक या कम मात्रा में होना दिशाओं में ऊर्जा के प्रवाह के संतुलन को बिगाड़ता है। 

चूंकि वास्तु विज्ञान ग्रहों की ऊर्जा से संचालित होता है लिहाजा वस्तुओं के अनुसार ही ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है। 

वास्तुशास्त्र के अनुसार हम जो भी सामान खरीदते हैं और उन्हें अपने घर में सजाते हैं या अपने पास रखते हैं वहां वस्तु के अनुसार ग्रहों की ऊर्जा प्रवाहित होती है।

खासबात यह है कि बड़ी चीजों पर ज्यादा ध्यान देने से अक्सर छोटी चीजें छूट जाती हैं और हमारी आर्थिक समस्या का कारण बन सकती हैं। 

बात यदि हमारे पैसे रखने के साधन अथवा पर्स या बैग की ही करें तो वहां कई चीजों का बेवजह होना आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। 

हम आपको पर्स में रखने वाली उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण आपकी आमदनी प्रभावित हो सकती है और आपको इन चीजों को पर्स में रखने से बचना है। 

आइए जानते हैं।

फटे हुए नोट को गले या पर्स में नहीं रखने चाहिए:

रोजमर्रा की जिंदगी में सामान खरीदते हुए हमें कुछ ऐसे नोट मिल जाते हैं, जिसकी स्थिति ठीक नहीं होती है। 
वो या तो फटे हुए होते हैं या गले हुए। 

यही नहीं, मार्केट में इन नोटों को चलाना भी अपने आप में एक मुसीबत ही होता है। 

ऐसे में कई वर्षों तक यह नोट हमारे पर्स में ही रह जाते हैं। 

ऐसे नोटों को पर्स में रखने से बचना चाहिए क्योंकि यह जीवन में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। 

इसके साथ धनहानि की संभावना भी बढ़ जाती है।

बिल और रसीद पुराने न रखे:

आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वह पुराने बिल और रसीदों को अपने पर्स में काफी समय तक रखते हैं। 

इससे जीवन में अनावश्यक खर्च बढ़ता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। 

इस लिए समय-समय पर इन चीजों को अपने पर्स से बाहर निकालते रहना चाहिए।

पूर्वजों की तस्वीर न रखें:

लोग अपने पर्स में अक्सर अपने उन करीबियों की तस्वीरें रखते हैं, जिनका निधन हो गया है। 

यादों को संजोना गलत नहीं है, लेकिन उनकी तस्वीरों को घर पर रखना ही सही माना जाता है। 

वास्तु शास्त्र की मानें तो ऐसा करने से आपको धन हानि हो सकती है।

न रखें भगवान की फोटो:

यदि आपका पर्स चमड़े का है तो इसके उपयोग से आपको पूरी तरह बचना चाहिए। 

वैसे तो चमड़े का इस्तेमाल आपको आम जिंदगी में भी नहीं करना चाहिए, लेकिन वास्तु शास्त्र के मुताबिक चमड़े से बने पर्स में देवी - देवताओं की तस्वीर रखने से धन हानि होने लगती है। 

ऐसे में आपकी आमदनी भी कम हो जाती है।



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उत्तर - पूर्व दिशा में सोने का कमरा होने से पति - पत्नी के बीच क्यों बढ़ जाते हैं लड़ाई - झगड़े, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ईशान कोण दिशा के नियमों से जुड़ीं ये गलतियां...!

वास्तु शास्त्र में उत्तर - पूर्व दिशा को ईशान कोण दिशा कहा जाता है।
 
इस दिशा के स्वामी सूर्यदेव हैं। ईशान कोण में चुंबकीय और सौर ऊर्जा का संगम होता है। 

इस दिशा के नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 

इस दिशा का सही उपयोग करके जीवन में सकारात्मक प्रभाव ला सकते हैं। 

आइए, विस्तार से जानते हैं उत्तर - पूर्व यानी ईशान कोण दिशा से जुड़े !

वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। 

हर दिशा से एक तरह की ऊर्जा जुड़ी होती है। 

हम इन दिशाओं में जो भी काम करते हैं, उस पर इन्हीं ऊर्जाओं का प्रभाव पड़ता है। 

जैसे, दक्षिण दिशा को यमलोक और पितरों की दिशा माना जाता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार पौराणिक मान्यता भी है कि दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पूजा - पाठ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। 

इसी तरह वास्तु शास्त्र में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि सोने के लिए कौन - सी दिशा उत्तम होती है। 

कई लोगों के मन में सवाल रहता है कि ईशान दिशा में शयन कक्ष यानी सोने वाले कमरे के होने से क्या होता है। 

आइए, जानते हैं ईशान दिशा में शयन कक्ष होने का क्या प्रभाव पड़ता है।

क्या होती है ईशान कोण दिशा : 

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, दफ्तर या फिर किसी भी भवन की उत्तर  - पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। 

ईशान क्षेत्र की दिशा परम पिता परमेश्वर की दिशा है जिस पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। 

अतः इस दिशा में शयन कक्ष नहीं बनाना चाहिए क्योंकि मोग विलास और शयन सुख पर शुक्र का स्वामित्व है।

वास्तु शास्त्र में ईशान कोण दिशा का क्या महत्व है :

उत्तर - पूर्व दिशा यानी ईशान कोण दिशा को देवताओं और ब्रह्म का स्थान माना जाता है। 

वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा में नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। 

इससे सुख - समृद्धि बढ़ती है। 

घर में खुशहाली आती है। 

उत्तर - पूर्व दिशा का महत्व वास्तु शास्त्र में बताया गया है। 

इस दिशा में उचित व्यवस्था से लाभ मिलता है।

ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होने से बढ़ते हैं झगड़े : 

इस दिशा अर्थात् गुरु के क्षेत्र में शयन कक्ष होने पर गुरु, शुक्र के प्रभाव में कमी लाएगा जिसके फलस्वरूप उचित शयनसुख नहीं मिल पाएगा। 

आपसी प्रेम में कमी एवं तकरार की स्थिति बनी रहेगी। 

साथ ही लंबी गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। 

इस दिशा में शयनकक्ष होने से इंसान भौतिकता की ओर मुड़ता जाता है। 

उसमें भावानात्मक सम्बधों की समझ कम होने लग जाती है इस लिए पति - पत्नी के बीच झगड़े भी बढ़ जाते हैं।

किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना :

पति-पत्नी के लिए ईशान-कोण दिशा में शयनकक्ष होना ठीक नहीं है लेकिन सत्तरह - अठारह साल तक के बच्चे के लिए ईशान क्षेत्र में शयनकक्ष बनाया जा सकता है। 

इस दिशा में शयनकक्ष रहने पर बच्चे अनुशासित और मर्यादित बने रहेंगे क्योंकि ज्ञान के स्वामी गुरु एवं बुद्धि के स्वामी बुध ग्रह का संयुक्त प्रभाव इस क्षेत्र पर बना रहता है। 

इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में जल तत्व की अधिकता रहती है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। 

घर में वृद्ध जन जो सांसारिक कार्यों से विरक्त हो गए हैं उन्हें ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष दिया जा सकता है।




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किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना :

एकल या सिंगल जीवन जीने वाले वृद्ध या  विधुर दादा दादी या या माता पिता के लिए पति - पत्नी के लिए ईशान - कोण दिशा में शयनकक्ष होना ठीक नहीं है लेकिन सत्तरह - अठारह साल तक के बच्चे के लिए ईशान क्षेत्र में शयनकक्ष बनाया जा सकता है। 

इस दिशा में जीवन भक्ति करना घर परिवार के लोगो पर अच्छा से ध्यान रखना होता है शयनकक्ष रहने पर बच्चे अनुशासित और मर्यादित बने रहेंगे क्योंकि ज्ञान के स्वामी गुरु एवं बुद्धि के स्वामी बुध ग्रह का संयुक्त प्रभाव इस क्षेत्र पर बना रहता है। 

इसके जो माता पिता सिंगल एकल जीवन जी रहा हो उनकी उमर 50 के ऊपर हो जो धार्मिक पुस्तकों पर अध्ययन और उसका लिए  मर्यादित बना रहता है 

अतिरिक्त इस क्षेत्र में जल तत्व की अधिकता रहती है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। 

घर में वृद्ध जन जो सांसारिक कार्यों से विरक्त हो गए हैं उन्हें ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष दिया जा सकता है।



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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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