https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec Vastu Astro / Astrologer Pandarama: जनवरी 2025

बुधवार, 29 जनवरी 2025

वास्तु शास्त्र के अनुसार आर्थिक नुकशानी :

वास्तु शास्त्र के अनुसार आर्थिक नुकशानी: 

भूलकर ना रखें ये 5 चीजें, बढ़ जाएंगे खर्च और होगा पैसों का नुकसान...!

हम आपको पर्स में रखने वाली उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण आपकी आमदनी प्रभावित हो सकती है और आपको इन चीजों को पर्स में रखने से बचना है। आइए जानते हैं।

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ऊर्जा वास्तु शास्त्र के ज्ञान का मूल स्त्राेेत है। 

वास्तु विज्ञान ऊर्जा के अनुसार ही कार्य करता है। 
वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को वस्तु विशेष के अनुसार संतुलित करते हैं और उससे जुड़े उपाय बताते हैं। 

वस्तु का संयोजन और उनका हमारे आसपास होना कई तरह की ऊर्जा पैदा करता है। 

दरअसल, हमारे आस-पास विशेष रूप से घर और ऑफिस में कई चीजें हैं, जिनसे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह लगातार होता रहता है और इनमें से कई चीजें ऐसी होती हैं जिनका अधिक या कम मात्रा में होना दिशाओं में ऊर्जा के प्रवाह के संतुलन को बिगाड़ता है। 

चूंकि वास्तु विज्ञान ग्रहों की ऊर्जा से संचालित होता है लिहाजा वस्तुओं के अनुसार ही ग्रहों की ऊर्जा संतुलित होती है। 

वास्तुशास्त्र के अनुसार हम जो भी सामान खरीदते हैं और उन्हें अपने घर में सजाते हैं या अपने पास रखते हैं वहां वस्तु के अनुसार ग्रहों की ऊर्जा प्रवाहित होती है।

खासबात यह है कि बड़ी चीजों पर ज्यादा ध्यान देने से अक्सर छोटी चीजें छूट जाती हैं और हमारी आर्थिक समस्या का कारण बन सकती हैं। 

बात यदि हमारे पैसे रखने के साधन अथवा पर्स या बैग की ही करें तो वहां कई चीजों का बेवजह होना आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। 

हम आपको पर्स में रखने वाली उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण आपकी आमदनी प्रभावित हो सकती है और आपको इन चीजों को पर्स में रखने से बचना है। 

आइए जानते हैं।

फटे हुए नोट को गले या पर्स में नहीं रखने चाहिए:

रोजमर्रा की जिंदगी में सामान खरीदते हुए हमें कुछ ऐसे नोट मिल जाते हैं, जिसकी स्थिति ठीक नहीं होती है। 
वो या तो फटे हुए होते हैं या गले हुए। 

यही नहीं, मार्केट में इन नोटों को चलाना भी अपने आप में एक मुसीबत ही होता है। 

ऐसे में कई वर्षों तक यह नोट हमारे पर्स में ही रह जाते हैं। 

ऐसे नोटों को पर्स में रखने से बचना चाहिए क्योंकि यह जीवन में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। 

इसके साथ धनहानि की संभावना भी बढ़ जाती है।

बिल और रसीद पुराने न रखे:

आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वह पुराने बिल और रसीदों को अपने पर्स में काफी समय तक रखते हैं। 

इससे जीवन में अनावश्यक खर्च बढ़ता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। 

इस लिए समय-समय पर इन चीजों को अपने पर्स से बाहर निकालते रहना चाहिए।

पूर्वजों की तस्वीर न रखें:

लोग अपने पर्स में अक्सर अपने उन करीबियों की तस्वीरें रखते हैं, जिनका निधन हो गया है। 

यादों को संजोना गलत नहीं है, लेकिन उनकी तस्वीरों को घर पर रखना ही सही माना जाता है। 

वास्तु शास्त्र की मानें तो ऐसा करने से आपको धन हानि हो सकती है।

न रखें भगवान की फोटो:

यदि आपका पर्स चमड़े का है तो इसके उपयोग से आपको पूरी तरह बचना चाहिए। 

वैसे तो चमड़े का इस्तेमाल आपको आम जिंदगी में भी नहीं करना चाहिए, लेकिन वास्तु शास्त्र के मुताबिक चमड़े से बने पर्स में देवी - देवताओं की तस्वीर रखने से धन हानि होने लगती है। 

ऐसे में आपकी आमदनी भी कम हो जाती है।



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उत्तर - पूर्व दिशा में सोने का कमरा होने से पति - पत्नी के बीच क्यों बढ़ जाते हैं लड़ाई - झगड़े, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ईशान कोण दिशा के नियमों से जुड़ीं ये गलतियां...!

वास्तु शास्त्र में उत्तर - पूर्व दिशा को ईशान कोण दिशा कहा जाता है।
 
इस दिशा के स्वामी सूर्यदेव हैं। ईशान कोण में चुंबकीय और सौर ऊर्जा का संगम होता है। 

इस दिशा के नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 

इस दिशा का सही उपयोग करके जीवन में सकारात्मक प्रभाव ला सकते हैं। 

आइए, विस्तार से जानते हैं उत्तर - पूर्व यानी ईशान कोण दिशा से जुड़े !

वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। 

हर दिशा से एक तरह की ऊर्जा जुड़ी होती है। 

हम इन दिशाओं में जो भी काम करते हैं, उस पर इन्हीं ऊर्जाओं का प्रभाव पड़ता है। 

जैसे, दक्षिण दिशा को यमलोक और पितरों की दिशा माना जाता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार पौराणिक मान्यता भी है कि दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पूजा - पाठ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। 

इसी तरह वास्तु शास्त्र में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि सोने के लिए कौन - सी दिशा उत्तम होती है। 

कई लोगों के मन में सवाल रहता है कि ईशान दिशा में शयन कक्ष यानी सोने वाले कमरे के होने से क्या होता है। 

आइए, जानते हैं ईशान दिशा में शयन कक्ष होने का क्या प्रभाव पड़ता है।

क्या होती है ईशान कोण दिशा : 

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, दफ्तर या फिर किसी भी भवन की उत्तर  - पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। 

ईशान क्षेत्र की दिशा परम पिता परमेश्वर की दिशा है जिस पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। 

अतः इस दिशा में शयन कक्ष नहीं बनाना चाहिए क्योंकि मोग विलास और शयन सुख पर शुक्र का स्वामित्व है।

वास्तु शास्त्र में ईशान कोण दिशा का क्या महत्व है :

उत्तर - पूर्व दिशा यानी ईशान कोण दिशा को देवताओं और ब्रह्म का स्थान माना जाता है। 

वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा में नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। 

इससे सुख - समृद्धि बढ़ती है। 

घर में खुशहाली आती है। 

उत्तर - पूर्व दिशा का महत्व वास्तु शास्त्र में बताया गया है। 

इस दिशा में उचित व्यवस्था से लाभ मिलता है।

ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होने से बढ़ते हैं झगड़े : 

इस दिशा अर्थात् गुरु के क्षेत्र में शयन कक्ष होने पर गुरु, शुक्र के प्रभाव में कमी लाएगा जिसके फलस्वरूप उचित शयनसुख नहीं मिल पाएगा। 

आपसी प्रेम में कमी एवं तकरार की स्थिति बनी रहेगी। 

साथ ही लंबी गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। 

इस दिशा में शयनकक्ष होने से इंसान भौतिकता की ओर मुड़ता जाता है। 

उसमें भावानात्मक सम्बधों की समझ कम होने लग जाती है इस लिए पति - पत्नी के बीच झगड़े भी बढ़ जाते हैं।

किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना :

पति-पत्नी के लिए ईशान-कोण दिशा में शयनकक्ष होना ठीक नहीं है लेकिन सत्तरह - अठारह साल तक के बच्चे के लिए ईशान क्षेत्र में शयनकक्ष बनाया जा सकता है। 

इस दिशा में शयनकक्ष रहने पर बच्चे अनुशासित और मर्यादित बने रहेंगे क्योंकि ज्ञान के स्वामी गुरु एवं बुद्धि के स्वामी बुध ग्रह का संयुक्त प्रभाव इस क्षेत्र पर बना रहता है। 

इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में जल तत्व की अधिकता रहती है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। 

घर में वृद्ध जन जो सांसारिक कार्यों से विरक्त हो गए हैं उन्हें ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष दिया जा सकता है।




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किन लोगों के लिए बेहतर है ईशान कोण दिशा में शयनकक्ष होना :

एकल या सिंगल जीवन जीने वाले वृद्ध या  विधुर दादा दादी या या माता पिता के लिए पति - पत्नी के लिए ईशान - कोण दिशा में शयनकक्ष होना ठीक नहीं है लेकिन सत्तरह - अठारह साल तक के बच्चे के लिए ईशान क्षेत्र में शयनकक्ष बनाया जा सकता है। 

इस दिशा में जीवन भक्ति करना घर परिवार के लोगो पर अच्छा से ध्यान रखना होता है शयनकक्ष रहने पर बच्चे अनुशासित और मर्यादित बने रहेंगे क्योंकि ज्ञान के स्वामी गुरु एवं बुद्धि के स्वामी बुध ग्रह का संयुक्त प्रभाव इस क्षेत्र पर बना रहता है। 

इसके जो माता पिता सिंगल एकल जीवन जी रहा हो उनकी उमर 50 के ऊपर हो जो धार्मिक पुस्तकों पर अध्ययन और उसका लिए  मर्यादित बना रहता है 

अतिरिक्त इस क्षेत्र में जल तत्व की अधिकता रहती है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। 

घर में वृद्ध जन जो सांसारिक कार्यों से विरक्त हो गए हैं उन्हें ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष दिया जा सकता है।



!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट / वास्तु विज्ञान के अनुसार बालकनी

सभी ज्योतिष मित्रो को मेरा निवेदन है..., आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे..., मे किसी के लेखो की कोपी नहि करता..., किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही है..., कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्ता भाई..., और आगे भी नही बढ़ता..., आप आपके महेनत से त्यार होने से बहुत आगे बठा जाता है...,

धन्यवाद......,  जय द्वारकाधीश..., 

वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट / वास्तु विज्ञान के अनुसार बालकनी 

मनी प्लांट को चुराकर लगाने से क्या सच में होती है धन प्राप्ति? 

मन में आया है कभी सवाल, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार जान लें सही जवाब...!

वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट को घर पर लगाने से जीवन में सुख - समृद्धि का वास होता है क्योंकि मनी प्लांट को एक सकारात्मक ऊर्जा वाला पौधा माना जाता है। 



वहीं, मनी प्लांट को धन प्राप्ति वाला पौधा भी माना जाता है। 

कई बार मन में सवाल आता है कि क्या मनी प्लांट को चुराकर ही लगाना चाहिए या फिर इसे खरीदकर भी लगाया जा सकता है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट को चुराकर नहीं लगाना चाहिए। आइए, विस्तार से जानते हैं इसका कारण।

आपने यह बात कई लोगों से सुनी होगी कि मनी प्लांट चुराकर लगाना शुभ होता है और इससे धन लाभ होता है। 

इसी बात को मानते हुए ज्यादातर लोग उन घरों से मनी प्लांट चुराना पसंद करते हैं, जहां धन-धान्य की कमी नहीं होती। 

इन सुनी - सुनाई बातों से अलग कभी-कभी मन में सवाल आता है कि क्या वाकई मनी प्लांट चुराकर लगाने से धन प्राप्ति का योग बनता है? 

आइए, जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार इस सवाल का जवाब।

वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ पौधे ऐसे होते हैं, जिन्हें घर में लगाने से सुख और समृद्धि का वास होता है। 

इन पौधों की ऊर्जा घर में सकारात्मक ऊर्जा को संचालित और आर्कषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

घर में पॉजिटिव वाइब्स लाने वाले इन पौधों में मनी प्लांट का नाम भी शामिल है। 

मनी प्लांट एक ऊर्जा से भरा होता है। 

मनी प्लांट को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। 

साथ ही सुख-समृद्धि को बढ़ाने में भी इस पौधे को महत्वपूर्ण समझा जाता है।

मनी प्लांट को चुराकर ही लगाना चाहिए?

मनी प्लांट को घर में लगाना कई तरह से शुभ माना जाता है लेकिन जब बात आती है, मनी प्लांट को घर में चुराकर लगाने की, तो आपको इससे बचना चाहिए। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट को चुराकर लगाने से हम इसकी ऊर्जा को नकारात्मक ऊर्जा में बदल देते हैं, क्योंकि किसी भी तरह की चोरी को सही नहीं कहा जा सकता। 

बुरे काम की ऊर्जा हमेशा नकारात्मक ही होती है इस लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट को चोरी करके नहीं लगाना चाहिए।

मनी प्लांट को पैसों से खरीदकर ही लगाएं :

वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में लगे मनी प्लांट की बेल जमीन को छूने लगे, तो उसे तुरंत ऊपर कर दें। 

मनी प्लांट का संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है इस लिए जमीन छूने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। 

जमीन को छूता मनी प्लांट शुभ नहीं माना जाता है इस लिए अगर आपके घर में मनी प्लांट बहुत ज्यादा बड़ा होकर जमीन पर लटकने लगा है, तो उसे किसी रस्सी की मदद से दीवार पर ऊपर की ओर सपोर्ट दे दें। 

इससे मनी प्लांट की बेल ऊपर दीवार पर चढ़ जाएगी।

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वास्तु विज्ञान के अनुसार बालकनी :

वास्तु विज्ञान के अनुसार बालकनी होगी ऐसी तो घर में खूब बना रहेगा पैसा, होती रहेगी तरक्‍की :

बालकनी की आपके घर के वास्‍तु में बहुत ही अहम भूमिका होती है। 

बालकनी का संबंध आपके घर की खुशहाली से भी होता है। 

बालकनी से सकारात्‍मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश करती है, इस लिए बालकनी का साफ - सुथरा और सुव्‍यवस्थित होना वास्‍तु शास्‍त्र में बहुत ही जरूरी माना गया है। 

आज हम आपको बता रहे हैं बालकनी से जुड़े वास्‍तु के नियम, ताकि आपके घर की खुशहाली बनी रहे और आपके घर में बिना किसी बाधा के सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके। 

आइए देखते हैं क्‍या हैं ये खास नियम।



वास्‍तु शास्‍त्र में बालकनी का आपके घर में बहुत खास स्‍थान होता है। 

आपके घर की खुशहाली और सुख समृद्धि के लिए बालकनी का स्‍वच्‍छ और सुंदर होना बेहद जरूरी माना गया है। 

अक्‍सर देखने में आता है कि कुछ घरों में फालतू सामान या फिर प्रयोग में न आने वाला सामान लोग अक्‍सर बालकनी में फेंक देते हैं। 

ऐसा करना वास्‍तु के अनुसार बहुत ही दोषपूर्ण माना जाता है। 

यदि आपकी बालकनी में भी फालतू सामान और कबाड़ा भरा है तो उसे घर के बाहर निकालकर फेंक दें। 

बालकनी को व्‍यवस्थित और सुंदर बनाने के लिए आज हम आपको बता रहे हैं वास्‍तु के कुछ खास टिप्‍स, देखें क्‍या हैं ये आसान से टिप्‍स।

बालकनी के लिए सबसे अच्छी दिशाएं पूर्व, उत्तर या उत्तर - पूर्व हैं। 

इन दिशाओं में सुबह और दोपहर की धूप आती है, जो हमारे लिए फायदेमंद होती है और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। 

दक्षिण या पश्चिम दिशा में बालकनी होना अच्‍छा नहीं माना जाता है। 

अगर आपके घर में ऐसा है तो उस बालकनी के विपरीत दिशा में भी उतनी ही बड़ी बालकनी होनी चाहिए।

बालकनी की दिशा :



बालकनी के लिए सबसे अच्छी दिशाएं पूर्व, उत्तर या उत्तर - पूर्व हैं। 

इन दिशाओं में सुबह और दोपहर की धूप आती है, जो हमारे लिए फायदेमंद होती है और सकारात्मक ऊर्जा लाती है। 

दक्षिण या पश्चिम दिशा में बालकनी होना अच्‍छा नहीं माना जाता है। 

अगर आपके घर में ऐसा है तो उस बालकनी के विपरीत दिशा में भी उतनी ही बड़ी बालकनी होनी चाहिए।

बालकनी में रंगों का प्रयोग :

हल्के रंग जैसे गुलाबी, नीला, बेज और सफ़ेद बालकनी के लिए उपयुक्त हैं। 

सफेद रंग प्रकाश को दर्शाता है और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करता है। 

हल्के हरे रंग का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 

गहरे रंगों से बचना चाहिए। 

बालकनी का साफ सुथरा और प्रकाशमय होना बहुत जरूरी होता है।

बालकनी में वास्‍तु के अनुसार फर्नीचर :


बालकनी में आराम करने के लिए थोड़ा फर्नीचर होना ज़रूरी है। 




वास्तु के अनुसार, बालकनी के दक्षिण कोने में दो कुर्सियां और एक छोटी मेज रखी जा सकती है। 

पश्चिम दिशा में भी फर्नीचर रखा जा सकता है, ताकि आपका मुख पूर्व या उत्तर की ओर रहे। 

बड़े और भारी फर्नीचर से बचना चाहिए क्योंकि ये सूर्य की रोशनी को घर में आने से रोक सकते हैं।

बालकनी में झूला :

बालकनी में उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर झूला लगाना शुभ माना जाता है। 

इससे आप आराम से समय बिता सकते हैं। 



एक सुंदर और आरामदायक झूला बालकनी की शोभा बढ़ा सकता है। 

बालकनी में झूला लगाने का ट्रेंड आजकल काफी जोरों पर है, लेकिन इस बात का ध्‍यान रखें कि यह झूला एकदम साफ-सुथरा होना चाहिए और आवाज नहीं करना चाहिए।

बालकनी में वास्‍तु के अनुसार पेड़ - पौधे :

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पौधे किसी भी जगह की ऊर्जा को बढ़ाते हैं। 

बालकनी में दक्षिण और पश्चिम दिशा में पौधे लगाने चाहिए। 

यहां पौधों को पर्याप्त धूप मिलेगी और वे घर में रोशनी आने से नहीं रोकेंगे। 

पश्चिम और दक्षिण की दीवारों पर वर्टिकल गार्डन बनाया जा सकता है। 

बहुत ऊंचे पौधों और लताओं से बचना चाहिए। 

रंग-बिरंगे फूलों वाले गमले सभी प्रकार की बालकनियों के लिए उपयुक्त होते हैं।

बालकनी में लाइट्स का प्रयोग:

वास्तु के अनुसार, अंधेरी बालकनी में नहीं बैठना चाहिए। 

इसे अशुभ माना जाता है और इससे दुर्भाग्य आ सकता है। 

बालकनी में हल्की रोशनी का इस्तेमाल करें। 

यह शांत और सकारात्मक माहौल बनाता है। 

रात के समय हल्की रोशनी का इस्तेमाल करना चाहिए। 

हल्‍की रोशनी बाली बालकनी में बैठने से आपका मन शांत और सकारात्‍मक रहता है।

अथ श्रीदुर्गासप्तशती 

ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम् (पोस्ट ०६)

अहमेव स्वयमिदं वदामि जुष्टं

        देवेभिरुत मानुषेभिः ।

यं कामये तं तमुग्रं कृणोमि

        तं ब्रह्माणं तमृषिं तं सुमेधाम् ॥ ५॥

मैं स्वयं ही देवताओं और  मनुष्यों द्वारा सेवित इस दुर्लभ तत्त्व का वर्णन करती हूँ । 

मैं जिस जिस पुरुष की रक्षा करना चाहती हूँ,उस - उस को सब की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली बना देती हूँ । 

उसी को सृष्टिकर्ता ब्रह्मा,परोक्षज्ञान - सम्पन्न ऋषि तथा उत्तम मेधाशक्ति से युक्त बनाती हूँ ॥५॥आपका अपना पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया, क्षत्रिय राजपूत जडेजा कुल गुरु का " जय द्वारकाधीश"

पंडित प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जडेजा कुल गुरु :-
प्रोफेस्सिनोल ज्योतिष एक्सपर्ट :-
-: 1987 वर्ष से ऊपर ज्योतिष का अनुभव  :-
श्री सरस्वती ज्योतिष कार्यालय
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ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई :

ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई  ऐसा ही सोते है भाग्यशाली और चांदी के उपाई  अगर आप ऐसे सोते हैं तो होंगे भाग्यशाली-----क ्यों है द...