सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्री सामवेद के प्रवर्चन में वास्तु शास्त्र और घर की दरिद्रता , वास्तु शास्त्र में चित्र कैसे लगाए जाएंगे आप दीपक ध्यान रखें, सही दिशा में होनी चाहिए दीपक की लौ ।।
हमारे सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार सामवेद में पूजन सामग्री और वास्तु के अनुसार इन चीजों को जमीन पर रखने से घर मे आती है दरिद्रता........
अक्सर हमारे दैनिक जिंदगी से जुडी हुई कुछ ऐसी बाते होती है जिनका सही तरिके से अनुपालन नहीं करने पर हमे नुकसान होने लगता है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुछ चीजों को जमीन पर रखने से मनुष्य को नर्क में जाना पड़ता है।
जी दरअसल श्रीमद भगवत गीता के नवम स्कंद के अनुसार आज हम आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
शालिग्राम शिला, शिवलिंग, शालिग्राम का जल, जी दरअसल यह सभी पूजनीय हैं।
शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का और शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है।
इसी के साथ धर्म ग्रंथों में शालिग्राम का जल भी पवित्र माना गया है इस कारण इनमें से किसी को भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
शंख, दीप, यंत्र, फूल, तुलसीदल, जपमाला, कपूर, चंदन और पुष्पमाला।
कहा जाता है इन सभी का उपयोग पूजा में या अन्य शुभ कामों में किया जाता है इस कारण इन्हें भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
मोती, हीरा, माणिक्य और सोना बहुमूल्य रत्न व धातु हैं।
इनका संबंध किसी न किसी ग्रह से है।
इस कारण इन्हें सीधे जमीन पर रखना इनका अपमान ही होता है।
सीप समुद्र से निकलने से के कारण देवी लक्ष्मी से संबंधित है इस कारण इसे भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
यज्ञोपवित ब्राह्मण से संबंधित है इस कारण इसे भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
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वास्तु शास्त्र में चित्र कैसे लगाए जाएंगे
"हनुमानजी का चित्र घर में कहाँ लगायें?"
श्रीराम भक्त हनुमान ने जो भक्ति प्रभु श्री राम की करी उनकी भक्ति को देखकर ही संसार में आज भक्तों का भंडार हैं मैं तो कहता हूँ कि भक्ति करो हृदय के पट खोलकर मन की शुद्धता से जैसे हनुमान जी ने कि और "भक्ति" में ही "शक्ति" हैं।
हनुमान जी ने भक्ति की, सत्संग, भजन, तपस्या और दुष्टों का हनन किया असहायों की सहायता की उनको हर कष्टों से बचाया और सभी के पालक बने हर पीङा,कष्ट,दु:ख - दर्द,संकट के समय हर बाधा को झेल कर भक्ति स्वरूप में "श्री राम जी" के साथ रहे यही एक परिवार में होता हैं।
चाहे मुखिया पर कितने ही कष्ट,बाधाएँ, हारी-बिमारी,दु:ख -दर्द, कोई भी संकट आए उसको हर बाधाओं का डट कर मुकाबला करके अपने परिवार का पलन - पोषण व संस्कारों तथा भक्ति के जरिये भरण - पोषण करना चाहिए अपने आप प्रभु उसके परिवार का ध्यान रखेंगे व शक्ति प्रदान करेंगे।
आईए आज मैं "हनुमान जी के चित्र" को हमारे घर पर कैसे लगाए व आपको दिशा का ज्ञान हो और आप सुखी रहे आपका परिवार सुखी रहे।
मैं नहीं लिख रहा हूँ, लिखवाने वाले भी वो हैं ही , पथ पर चलाने वाले प्रभु हैं,मार्गदर्शन देने वाले भी प्रभु ही हैं मैं तो एक जरिया हूँ, विचार उनके हैं,हर शब्द में वो हैं,हर सोच में वो हैं,हर संकट में साथ देने वाले"हनुमान जी" को प्रणाम।
"संकट मोचन हनुमान जी महाराज की जय"
"जय श्री जाल के बालाजी महाराज की जय"
"जय सियाराम जी"
हनुमानजी का चित्र घर में कहाँ लगायें?
श्रीराम भक्त हनुमान साक्षात एवं जाग्रत देव हैं।
हनुमानजी की भक्ति जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी।
कठिन इस लिए की इसमें व्यक्ति को उत्तम चरित्र और मंदिर में पवित्रता रखना जरूरी है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भुगतने होते हैं |
हनुमानजी की भक्ति से चमत्कारिक रूप से संकट खत्म होकर भक्त को शांति और सुख प्राप्त होता है।
विद्वान लोग कहते हैं कि जिसने एक बार हनुमानजी की भक्ति का रस चख लिया वह फिर जिंदगी में अपनी बाजी कभी हारता नहीं।
जो उसे हार नजर आती है वह अंत में जीत में बदल जाती है।
ऐसे भक्त का कोई शत्रु नहीं होता।
आपने हनुमानजी के बहुत से चित्र देखे होंगे।
जैसे- पहाड़ उठाए हनुमानजी, उड़ते हुए हनुमानजी, पंचमुखी हनुमानजी, रामभक्ति में रत हनुमानजी, छाती चीरते हुए, रावण की सभा में अपनी पूंछ के आसन पर बैठे हनुमानजी, लंका दहन करते हनुमान, सीता वाटिका में अंगुठी देते हनुमानजी, गदा से राक्षसों को मारते हनुमानजी, विशालरूप दिखाते हुए हनुमानजी, आशीर्वाद देते हनुमानजी।
राम और लक्षमण को कंधे पर उठाते हुए हनुमानजी, रामायण पढ़ते हनुमानजी, सूर्य को निगलते हुए हनुमानजी, बाल हनुमानजी, समुद्र लांगते हुए हनुमानजी, श्रीराम-हनुमानजी मिलन, सुरसा के मुंह से सूक्ष्म रूप में निकलते हुए हनुमानजी, पत्थर पर श्रीराम नाम लिखते हनुमानजी, लेटे हुए हनुमानजी, खड़े हनुमानजी, शिव पर जल अर्पित करते हनुमानजी, रामायण पढ़ते हुए हनुमानजी, अखाड़े में हनुमानजी शनि को पटकनी देते हुए, ध्यान करते हनुमानजी, श्रीकृष्ण रथ के उपर बैठे हनुमानजी, गदा को कंधे पर रख एक घुटने पर बैठे हनुमानजी, पाताल में मकरध्वज और अहिरावण से लड़ते हनुमानजी, हिमालय पर हनुमानजी, दुर्गा माता के आगे हनुमानजी, तुलसीदासजी को आशीर्वाद देते हनुमानजी, अशोक वाटिका उजाड़ते हुए हनुमानजी, श्रीराम दरबार में नमस्कार मुद्रा में बैठे हनुमानजी आदि।
जिस घर में हनुमानजी का चित्र होता है वहां मंगल, शनि, पितृ और भूतादि का दोष नहीं रहता।
हनुमानजी के भक्त हैं तो घर में हनुमानजी के चित्र कहां और किस प्रकार के लगाएं यह जानना जरूरी है।
आओ आज हम आपको बताते हैं श्री हनुमानजी के चित्र लगाने के कुछ नियम।
किस दिशा में लगाएं हनुमानजी का चित्र : -
वास्तु के अनुसार हनुमानजी का चित्र हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए।
यह चित्र बैठी मुद्रा में लाल रंग का होना चाहिए।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है।
हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है।
इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
शयनकक्ष में न लगाएं हनुमान चित्र : -
शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनका चित्र शयनकक्ष में न रखकर घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है।
शयनकक्ष में रखना अशुभ है।
भूत, प्रेत आदि से बचने हेतु : -
यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप हनुमानजी का शक्ति प्रदर्शन की मुद्रा में चित्र लगाएं।
आप चाहे तो पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वार के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए।
ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी।
पंचमुखी हनुमान:-
वास्तु विज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है।
जलस्रोत दोष :
यदि भवन में गलत दिशा में कोई भी जल स्रोत हो तो इस वास्तु दोष के कारण परिवार में शत्रु बाधा, बीमारी व मन मुटाव देखने को मिलता है।
इस दोष को दूर करने के लिए उस भवन में ऐसे पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए।
जिनका मुख उस जल स्रोत की ओर देखते हुए दक्षिण पाश्चिम दिशा की तरफ हो।
बैठक रूप में : -
बैठक रूम में आप श्रीराम दरबार का फोटो लगाएं, जहां हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं।
इसके अलावा बैठक रूम में पंचमुखी हनुमानजी का चित्र, पर्वत उठाते हुए हनुमानजी का चित्र या श्रीराम भजन करते हुए हनुमानजी का चित्र लगा सकते हैं।
ध्यान रखें कि उपरोक्त में से कोई एक चित्र लगा सकते हैं।
पर्वत उठाते हुए हनुमान का चित्र : -
यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें साहस, बल, विश्वास और जिम्मेदारी का विकास होगा।
आप किसी भी परिस्थिति से घबराएंगे नहीं।
हर परिस्थिति आपके समक्ष आपको छोटी नजर आएगी और तुरंत ही उसका समाधान हो जाएगा।
उड़ते हुए हनुमान: -
यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपकी उन्नती, तरक्की और सफलता को कोई रोक नहीं सकता।
आपमें आगे बढ़ने के प्रति उत्साह और साहस का संचार होगा।
निरंतर आप सफलता के मार्ग पर बढ़ते जाएंगे |
श्रीराम भजन करते हुए हनुमान : - यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें भक्ति और विश्वास का संचार होगा।
यह भक्ति और विश्वास ही आपके जीवन की सफलता का आधार है।
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आप दीपक ध्यान रखें, सही दिशा में होनी चाहिए दीपक की लौ
कैसे जलाते हैं आप दीपक ध्यान रखें, सही दिशा में होनी चाहिए दीपक की लौ
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाए जाते हैं।
सुबह-शाम होने वाली पूजा में भी दीपक जलाने की परंपरा है।
वास्तुशास्त्र में दीपक जलाने व उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं।
दीपक की लौ की दिशा किस ओर होनी चाहिए, इस संबंध में वास्तुशास्त्र में पर्याप्त जानकारी मिलती है।
वास्तुशास्त्र में यह भी बताया गया है कि दीपक की लौ किस दिशा में होने पर उसका क्या फल मिलता है।
1. दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।
2. दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दु:ख बढ़ता है।
3. दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनलाभ होता है।
4. दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रखने से हानि होती है।
यह हानि किसी व्यक्ति या धन के रूप में भी हो सकती है।
किसी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र का जप करने से शीघ्र ही सपलता मिलती है।
5. किसी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र का जप करने से शीघ्र ही सफलता मिलती है-
*दीपज्योति: परब्रह्म:*
*दीपज्योति: जनार्दन:*
*दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं* *नमोस्तुते...*
*शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां*
*शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति...*
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305
(GUJRAT )
सेल नंबर: . + 91- 9427236337 / + 91- 9426633096 ( GUJARAT )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण