घर के मंदिर से जुड़े वास्तुशास्त्र :
घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर में रखें पीतल का कछुआ :
वास्तु शास्त्र के अनुसार पीतल के कछुए को घर में रखने से शुभ फल मिलते हैं।
यह घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। सौभाग्य प्राप्त होता है।
कछुए को सही तरीके से रखना जरूरी है, तभी पूरा लाभ मिलेगा।
कछुए को घर की उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
इस से घर का वातावरण सुखमय बना रहता है।
परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
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लक्ष्मी प्राप्ति के लिए घर में कहां रखें कुबेर यंत्र, वास्तु शास्त्र में इन 5 यंत्रों की सकारात्मक ऊर्जा जीवन में लाती है तरक्की :
वास्तु शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी यंत्र जीवन में धन की कमी को दूर करने वाला यंत्र है।
इस यंत्र को पैसों की अलमारी या तिजोरी के आसपास रखना चाहिए।
लक्ष्मी यंत्र के अलावा भी पांच ऐसे यंत्र हैं, जिन्हें सकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दुनिया की हर चीज एक ऊर्जा से जुड़ी हुई है।
ऊर्जा एक प्रकार की शक्ति है, जिसका असर हमारे जीवन पर पड़ता है।
वास्तु शास्त्र में यंत्र शास्त्र में हम उसी ऊर्जा का प्रयोग करते है।
इसी ऊर्जा को धार्मिक जगत में ईश्वर या पराशक्ति भी कहते हैं।
सबसे पहले केवल सूर्य को ही ऊर्जा का स्रोत्र मानता रहा था लेकिन हमारे ऋषि मुनियों ने हमेशा से ही ब्रम्हचेतना की बात कही...!
जिसके बाद यह बात मानी गई कि सूर्य ही नहीं बल्कि दुनिया की हर चीज में एक ऊर्जा उपस्थित है।
वही, ब्रम्हचेतना आज विज्ञान जगत में कॉस्मिक एनर्जी के रूप में मान्य हो गई है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ यंत्र ऐसे हैं, जिन्हें घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वास्तु दोष निवारण यंत्र का महत्व :
आपके घर में अगर नकारात्मक ऊर्जा के कारण कोई न कोई अनहोनी घटना हो रही है, तो आपको घर में वास्तु दोष निवारण यंत्र का प्रयोग करना चाहिए।
वास्तु दोषों को दूर करने और भवन में ऊर्जा प्रवाह को सही कर किया जाता है।
वास्तु दोष निवारण यंत्र को घर की पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।
वास्त दोष निवारण यंत्र जहां भी रखें, वहां पर फूल- पौधे भी जरूर रख दें, इस से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
श्री यंत्र का महत्व :
श्री यंत्र सबसे शक्तिशाली यंत्रों में से एक है।
यह धन, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास से जुड़ा है।
इस से लाभ के साथ वित्तीय स्थिरता भी बढ़ती है।
सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित बिना वास्तु रचनात्मक परिवर्तन को है।
सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और वास्तु दोषों के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
इसे उस स्थान पर रखा जाता है जहां वास्तु दोष पाया जाता है।
कुबेर यंत्र का महत्व :
कुबेर यंत्र धन के देवता भगवान कुबेर को समर्पित है।
कुबेर यंत्र धन और समृद्धि को आकर्षित करता है, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है और धन संचय और प्रबंधन में मदद करता है।
कुबेर यंत्र को पैसों की अलमारी या तिजोरी के पास रखना चाहिए, इससे जीवन में धन की कमी नहीं होती। साथ ही बिजनेस और नौकरी में लाभ मिलता है।
लक्ष्मी यंत्र का महत्व :
लक्ष्मी यंत्र का धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है।
लक्ष्मी यंत्र लाभ घन और समृद्धि को आकर्षित करता है।
इस के अलावा लक्ष्मी यंत्र वित्तीय स्थिरता को बढ़ाता है और घर में शांति और समृद्धि भी लाता है।
लक्ष्मी यंत्र को उन लोगों को घर में जरूर रखना चाहिए, जिनके हाथ में कभी पैसा नहीं टिकता।
इसे घर के उत्तरी कोने में रखा जाता है।
सिद्धनीसा यंत्र का महत्व :
सिद्धनीसा यंत्र उद्देश्य यह एक प्रकार का दुकान का रक्षा कवच है।
यह यंत्र व्यापारियों को जरूर रखना चाहिए।
सिद्धनीसा यंत्र किसी की नजर - टोक या फिर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति को घर के भीतर प्रवेश नहीं करने देती।
इस यंत्र को दुकान की चौखट के ऊपर लगानी चाहिए। इससे बिजनेस में तरक्की मिलती है।
घर में इन संकेतों से पता लगाएं वास्तु दोष है या नहीं ?
वास्तु दोष होना अर्थात ऊर्जा का असंतुलन होना।
घर में वास्तु दोष होने पर परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और कई तरह के उल्टे सीधे विचार आते जाते रहते हैं।
इस आर्टिकल में बताया गया है कि अगर आपके घर में वास्तु दोष है तो उसका पता कैसे लगाएं और किन वास्तु के उपाय से सही कर सकते हैं... !
वास्तु शास्त्र का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
दरअसल वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और डिजाइन प्रणाली है...!
जिसका उद्देश्य रहने और काम करने की जगहों के भीतर ऊर्जा प्रवाह को सामंजस्य और संतुलित करना है।
घर में वास्तु का प्रयोग करने से परिवार के सदस्यों की उन्नति होती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है।
वहीं घर में अगर वास्तु दोष होता है तो रहने वाले सदस्यों के जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है...!
आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं, कोई ना कोई सदस्य बीमार रहता है आदि कई तरह की समस्याएं बनी रहती हैं।
घर में मौजूद चीजें सही दिशा में ना होने की वजह से वास्तु दोष निर्मित होता है...!
आइए सबसे पहले जानते हैं कि आपके घर में वास्तु दोष है या नहीं...!
वास्तु दोष के संकेत :
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस घर में बार बार लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा हो या ना चाहने पर भी बेवजह के खर्चे अचानक सामने आ जाते हैं....!
तो इसका मतलब है कि आपके घर में वास्तु दोष है।
वहीं अगर घर में कोई ना कोई सदस्य लगातार बीमार रहता है और इलाज के बाद भी बीमारी सही नहीं हो रही है तो यह लक्षण वास्तु दोष के हैं।
वास्तु दोष होने पर होती हैं यह घटनाएं :
जिस घर में वास्तु दोष होता है, उस घर में लोगों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
घर के सदस्यों में आपसी प्रेम खत्म हो जाता है और छोटी छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा या वाद विवाद बना रहता है तो इसका मतलब है कि घर में वास्तु दोष है।
घर के सदस्यों की चिंता हमेशा लगे रहना और उसकी वजह से नींद ना आना वास्तु दोष की तरफ इशारा करता है।
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वास्तु दोष होने पर आते हैं ऐसे विचार ;
जिस घर में वास्तु दोष होता है, उस घर के सदस्य सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन असफल हो जाते हैं।
घर के सदस्य हर समय सुस्ती महसूस करते हैं या दिन भर में फोन या टीवी में लगे रहते हैं।
वहीं दिमाग में बार बार नकारात्मक विचार आना या जीवन को समाप्त करने के बारे में सोच रहे हैं तो घर का वास्तु सही नहीं है।
घर का मेन गेट की तरफ ध्यान दें :
कई बार घर का मेन गेट सही दिशा में ना होने की वजह से घर का वास्तु खराब हो जाता है और रहने वाले सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जब किसी व्यक्ति की ग्रहों की दशा खराब हो जाती है तब नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है....!
ऐसी परिस्थितियों में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वास्तु दोष दूर करने के उपाय :
घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए समय समय पर रामचरितमानस का पाठ या सुंदरकांड का पाठ करवाते रहें।
वहीं घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्माण हो रहा है तो पहले एक कपूर की टिकिया रख दें।
जब वह टिकिया गलकर खत्म हो जाए तो दूसरी टिकिया रख दें।
इस तरह कपूर की टिकिया को बदलते रहेंगे तो वास्तु दोष नहीं होगा।
इस तरह वास्तु दोष को करें सही :
घर के मेन गेट पर हर रोज हल्दी और कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वास्तु दोष भी खत्म हो जाता है।
परिवार में लोगों के बीच लड़ाई झगड़ा रहता है तो पोछा लगाते समय पानी में थोड़ा सा नमक डाल दें और फिर पोछा दें।
वहीं किचन के अग्निकोण में लाल बल्ब लगाकर रखें, ऐसा करने से दोष दूर होता है और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
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इस आकार-प्रकार के भूखण्ड अवनति-उन्नति के लिए हैं जिम्मेदार :
वास्तु शास्त्र के अनुसार अब तक आपने वर्गाकार भूखण्ड, आयताकार भूखण्ड, गोलाकार भूखण्ड, त्रिकोणाकार भूखण्ड, चक्राकार भूखण्ड, शकटाकार भूखण्ड, पंखाकार भूखण्ड, तबलाकार भूखण्ड, शूर्पाकार भूखण्ड, गोमुखाकार भूखण्ड, सिंहमुखाकार भूखण्ड, टी आकार का भूखण्ड, षट्कोणाकार भूखण्ड, अष्टकोणाकार भूखण्ड के बारे में जाना है ।
धनुषाकार भूखण्ड-
धनुषाकार भूखण्ड- वास्तु शास्त्र के अनुसार जो भूखण्ड धनुष के आकार का हो, उस पर निवास नहीं करना चाहिए।
ऐसा भूखण्ड अशुभ प्रभाव डालता है, शत्रु भय वृद्धि करने वाला धनुषाकार भूखण्ड कष्टकारी माना जाता है।
अद्धचन्द्राकार भूखण्ड-
अद्धचन्द्राकार भूखण्ड- आधे चन्द्रमा अथवा अर्धवृत्त के समान आकार वाले भूखण्ड पर निवास करने से चोरी, डकैती जैसी घटनाओं से परेशानी का संकट बना रहता है।
विषम बाहु भूखण्ड-
विषम बाहु भूखण्ड- जो भूखण्ड एक ओर से अनियमित या टेढ़ी - मेढ़ी भुजा वाला हो, ऐसा भूखण्ड विषम बाहु भूखण्ड की श्रेणी में आता है।
विषम बाहु भूखण्ड पर भवन निर्माण कर रहने पर भूस्वामी सहित परिजनों का चित्त अशांत, बीमारी एवं आर्थिक संकट की स्थिति की सम्भावनाएं होने के कारण ऐसी भूमि त्याज्य है।
चतुष्कोणाकार भूखण्ड-
चतुष्कोणाकार भूखण्ड- जो भूखण्ड आमने - सामने से बराबर कोणों वाला होकर गणित के पैरलैलोग्राम जैसा दिखाई पड़े, उसे चतुष्कोणाकार भूखण्ड कहते हैं।
इस भूखण्ड पर घर बनाकर निवास करना शुभ फलदायी रहता है।
अण्डाकार भूखण्ड-
अण्डाकार भूखण्ड- अंडे के समान दिखने वाला भूखण्ड अण्डाकार भूखण्ड कहालता है, गोल न होने के कारण यह भूखण्ड अशुभ फलदायी माना गया है।
इस प्रकार के आकार वाले भूखण्ड को खरीदना नहीं चाहिए।
यह सर्वथा त्याज्य भूखण्ड की श्रेणी में आता है।
काकमुखाकार भूखण्ड-
काकमुखाकार भूखण्ड- आगे से संकुचित तथा पीछे से चौड़ा भूखण्ड काकमुखाकार भूखण्ड होता है।
इस प्रकार का भूखण्ड शुभ फलदायी माना गया है।
भूस्वामी को सुख - संपत्ति, ऐश्वर्य देने वाला काकमुखाकार भूखण्ड रहता है।
कुम्भाकार भूखण्ड-
कुम्भाकार भूखण्ड- घड़े की आकृति अर्थात् कुम्भ कलश की आकृति लिए हुए भूखण्ड कुम्भाकार भूखण्ड माना जाता है, इस प्रकार की भूमि आधे घड़े की तरह होती है।
यह भूखण्ड भूस्वामी के लिए अशुभ रहता है।
यहां निवास करने से रोग, कष्ट, क्लेश की संभावनाएं अधिक होती हैं।
चिमटाकार भूखण्ड-
चिमटाकार भूखण्ड- जो भूखण्ड एक तरह से लम्बा तथा दूसरी तरह से छोटा यानी चिमटे के जैसे आकार का होता है, उसे चिमटाकार भूखण्ड कहा जाता है, जो कि निवास के लिए अशुभ रहता है।
मूसलाकार भूखण्ड-
मूसलाकार भूखण्ड- जिस भूखण्ड की आकृति एक तरफ से गोल तथा आगे चलकर लम्बा हो जाए, उसे मूसलाकार भूखण्ड कहते हैं।
इसे अत्यन्त अशुभ की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यहां निवास करने पर दुःख, परेशानी, बीमारी अधिक झेलनी पड़ती है।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏


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