वास्तुशास्त्र :
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से आपके घर की बालकनी, :
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से घर की बालकनी महत्वपूर्ण होती हैं...!
हालांकि उसकी ओर हम ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं।
अगर बालकनी वास्तुशास्त्र के अनुसार बन पाए एवं उसका रखरखाव भी वास्तु निर्देशों के अनुरूप हो...!
तो पूरे मकान अथवा फ्लैट को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ दिलाने में अहम भूमिका निभाती है।
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जब पूर्व में हो बालकनी : -
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से बालकनी पूर्व दिशा में बनी हो...!
तो यह आपके पूरे घर के लिए लाभदायक है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए इसे सर्वाधिक साफ - सुथरा रखें।
इसी दिशा से सुबह के समय सूर्य भगवान की सकारात्मक किरणें आपके घर में प्रवेश करती हैं, अतः यहां बड़ा एवं भारी सामान न रखें।
यहां तुलसी का पौधा रखें लेकिन यहां बहुत ज्यादा भारी गमले न रखें।
घर का कोई भी टूटा - फूटा सामान, रद्दी आदि यहां न रखें।
सूर्य को जल देने के लिए इस बालकनी के लगभग बीच का भाग प्रयोग करें।
जब पश्चिम में हो बालकनी : -
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से आपके घर अथवा फ्लैट की पश्चिम दिशा में बालकनी हो...!
तो इसे दोपहर के बाद परदे से थोड़ा - बहुत कवर कर लेना चाहिए...!
क्योंकि वास्तु के अनुसार पश्चिम की दिशा से क्षीण या नकारात्मक ऊर्जा ही प्रवेश करती है।
यहां साइज तथा वजन में कुछ भारी गमले और पौधे का प्रयोग कर सकते हैं।
जब उत्तर दिशा में हो बालकनी : -
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से आपके मकान अथवा फ्लैट की बालकनी उत्तर दिशा में बनी हो तो इसे भी पूर्व दिशा की बालकनी के समान साफ - सुथरा रखें।
यदि निर्माणाधीन मकान में आपकी पसंद के अनुसार, बालकनी बनाने की आपको स्वतंत्रता हो...!
तो पूर्व, उत्तर एवं पूर्वोत्तर के ईशान कोण में बड़ी बालकनी का बनाना वास्तु सम्मत है...!
ऐसी बालकनी भवन को विस्तृत आधार एवं सकारात्मक ऊर्जा देती है।
जब दक्षिण दिशा में हो बालकनी : -
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से बालकनी मकान या फ्लैट की दक्षिण दिशा में बनी हो...!
तो यहां ऊंची और लटकने वाली विभिन्न प्रकार के फूलों वाली या सजावटी बेलें लगाएं।
दक्षिण दिशा की बालकनी के एक हिस्से में आप कुछ ऐसे ही सामान रख सकते हैं...!
जिनका इस्तेमाल आपको फिलहाल नहीं करना होता।
यदि दक्षिण दिशा की बालकनी वाला भाग मकान का फ्रंट या आगे वाला भाग बनता हो...!
तो इस बालकनी को आकार में अपेक्षाकृत बड़े पौधों से सजाया जा सकता है।
बालकनी चाहे किसी भी दिशा में बनी हो, हमेशा साफ - सुथरी होनी चाहिए...!
क्योंकि प्रायः वहां एक या एक से अधिक खिड़कियां और दरवाजे भी होते ही हैं और ब्रह्मांडीय ऊर्जा हमेशा घर की खिड़कियां और दरवाजों के रास्ते ही घर में प्रवेश करती है।
अब यदि ऊर्जा के प्रवेश करने का मार्ग ही साफ - सुथरा न हो...!
तो नकारात्मक तरंगें ही हमारे घर में आएंगी, जिससे घर में अशांति का वातावरण बन सकता है।
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वास्तुशास्त्र की दृष्टि से व्यापार में सफलता व घर की समृद्धि : -
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से घर, दुकान और कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि व सफलता बनाए रखने के लिए बहुत ही सरल वास्तु नियम हैं...!
जैसे बैठने की दिशा, दर्पण का स्थान, ऋण लेने के शुभ - अशुभ दिन इत्यादि के बारे में ध्यान रखें।
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दुकानदार तथा दुकान के कर्मचारी को अधिक से अधिक प्रयास करना चाहिए....!
कि वह पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठें, दक्षिण या पश्चिम की ओर मुख करके बैठने से प्रायः अर्थ हानि एवं कष्ट होता है।
सोने के कमरे में आईना होना अपशकुन माना जाता है।
बिस्तर के बिल्कुल सामने आईना नहीं रखना चाहिए।
इस से पति पत्नी के बीच मन मुटाव होता है।
अगर आईना बिल्कुल बिस्तर के सामने हो तो उसे हटा दें या फिर परदा लगा दें।
रविवार एवं मंगलवार को, संक्रांति के दिन, वृद्धि योग में, हस्त नक्षत्र में बैंक आदि से कर्ज नहीं लेना चाहिए।
इन मुहूर्तों में ऋण ( कर्ज ) लेने वाला व्यक्ति सदैव ऋणी रहता है।
मंगलवार को कभी भी ऋण ( कर्जा ) नहीं लेना चाहिए।
यदि आप जल्दी से जल्दी कर्ज के बोझ से छुटकारा चाहते हैं तो कोशिश करें कि कर्ज का पैसा मंगलवार को ही लौटाएं।
वैसे तो कर्ज कभी नहीं लेना चाहिए लेकिन अगर मजबूरी वश लेना ही पड़े तो कोशिश करें कि कर्ज बुधवार को ही लें।
घर के दरवाजे के हत्थे पर तीन चीनी सिक्कों को, लाल रंग के रिबन या धागे से बांध कर दरवाजे के ऊपर की ओर लगाना चाहिए।
इस से घर में लक्ष्मी आती है। इसे अपने बटुए में और गल्ले में भी रख सकते हैं।
घर के कमरे में एक के बाद एक, एक ही पंक्ति में, तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए।
इस से शुभ ( सकारात्मक, पॉजिटिव ) ऊर्जा जल्दी से निकल जाती है और अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
प्रतिदिन घर, दुकान एवं प्रतिष्ठान की सफाई करते वक्त पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पोंछा लगाना चाहिए।
यह नमक मिला पानी ‘‘नकारात्मक’’, ‘‘अशुभ’’ ऊर्जा को बाहर निकालने में सहायक होता है।
इस सरल प्रयोग से घर, दुकान अथवा प्रतिष्ठान के नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
दफ्तर में दरवाजे की ओर पीठ करके नहीं बैठना चाहिए।
इस से विश्वासघात की संभावना रहती है।
दफ्तर में हमेशा इस तरह बैठना चाहिए कि दरवाजा आंखों के सामने हो, जिससे दफ्तर में आने वाले लोगों को अच्छी तरह देख सकें।
यदि आपका व्यापार मंद चल रहा है तो दक्षिण दिशा की चार दीवारी के मुंडेर पर ईटों की चिनाई कराकर उसे ऊँचा करा दें...!
दक्षिण की दीवार ऊंची करने पर आप स्वयं अपने व्यवसाय में तेजी अनुभव करेंगे।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏


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